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मुगल साम्राज्य के नोट्स pdf | mughal samrajya Notes download

 मुगल साम्राज्य

इंडो - इस्लामिक संस्कृति का काल

 

बाबर (1526-30) :

  • 1494 में ट्रंस आक्सियाना की छोटी सी रियासत फरगना का बाबर उत्तराधिकारी बना।

  • मध्य एशिया में कई अन्य आक्रमणकारियों की भांति बाबर भी अपार धनराशि के कारण भारत की ओर आकर्षित हुआ।

  • बाबर अपनी पिता की ओर से तैमूर का तथा अपनी माता की ओर से चंगेज खां का वंशज था।

  • बाबर के पिता का नाम उमर शेख मिर्जा था। वह चगताई तुर्क था।

  • मध्य एशिया में अपने अनिश्चित स्थिति के कारण उसने सिन्धु नदी को पार कर भारत पर आक्रमण किया था।

  • 1518-1519 में बाबर ने भेरा के शक्तिशाली किले पर आक्रमण किया जो उसका प्रथम भारतीय अभियान था।

  • अप्रैल, 1526 को बाबर तथा इब्राहिम लोदी के बीच पानीपत का प्रथम युद्ध हुआ।

  • इस युद्ध में बाबर ने अपने 12,000 सैनिकों के साथ 1 लाख सैनिक तथा एक हजार हाथी से युक्त इब्राहिम लोदी की सेना को पराजित कर दिया।

  • इस युद्ध में बाबर ने उस्मानी विधि का प्रयोग किया।

  • इस युद्ध में इब्राहिम लोदी पराजित हुए तथा दिल्ली एवं आगरा तक के प्रदेश बाबर के अधीन हो गये।

  • बाबर अपनी उदारता के कारण 'कलंदर' नाम से भी जाना जाता है।

  • 27 अप्रैल, 1526 को बाबर ने दिल्ली में मुगल वंश के संस्थापक के रूप में राज्याभिषेक किया।

  • दिसम्बर, 1530 में आगरा में बाबर की मृत्यु व उसे आगरा के नूर अफगान बाग (वर्तमान आराम बाग) में दफनाया गया। बाद में इसे काबुल में दफनाया गया।

 

खानवा युद्ध :

  • आगरा से 40 किमी. दूर खानवा की लड़ाई 1527 में बाबर तथा राणा सांगा के बीच लड़ी गयी जिसमें सांगा पराजित हुए।

  • युद्ध में विजयी होने के बाद बाबर ने गाजी की उपाधि धारण की।

  • खानवा की लड़ाई से दिल्ली - आगरा में बाबर की स्थिति मजबूत हुई और ग्वालियर तथा धौलपुर के किले पर भी अधिकार हो गया।

 

चंदेरी युद्ध :

  • खानवा के बाद बाबर ने चंदेरी के युद्ध में राजपूत सरदार मेदिनी राय को पराजित कर चंदेरी पर अधिकार कर लिया।

  • 1529 में बाबर ने बनारस के निकट गंगा पार करके घाघरा नदी के निकट अफगानों और बंगाल के नुसरतशाह की सेनाओं का सामना किया।

  • बाबर की मातृभाषा तूर्की थी।

  • उसकी आत्मकथा 'तुजुक-ए-बाबरी' का विश्व साहित्य के क्लासिक ग्रन्थों में स्थान है। बाबरनामा (तुर्की भाषा में) का फारसी भाषा में अनुवाद रहीम खान खाना ने किया।

 

हुमायूं (1530-1556) :

  • हुमायूं 1530 में 23 वर्ष की आयु में आगरा में गद्दी पर बैठा।

  • उसके सामने अनेक समस्याएं थीं-प्रशासन को सुगठित करना, आर्थिक स्थिति ठीक करना, अफगानों को पूरी तरह दबाना तथा पुत्रों में राज्य बांटने की तैमूरी प्रथा।

  • हुमायूं का छोटा भाई कामरान काबुल और कंधार का प्रशासक था।

  • कामरान ने लाहौर तथा मुल्तान पर आधिपत्य जमा लिया।

  • 1531 में कालिंजर अभियान के अंतर्गत हुमायूं ने बुंदेलखंड के कालिंजर दुर्ग पर घेरा डाला।

  • हुमायूं तथा महमूद लोदी के बीच दोहरिसा का युद्ध हुआ जिसमें महमूद लोदी पराजित हुआ।

  • हुमायूं दिल्ली के निकट दीनपनाह नामक नया शहर बनवाने में व्यस्त रहा जो बहादुरशाह की ओर से आगरे पर खतरा पैदा होने की स्थिति में यह नया शहर इसकी राजधानी के रूप में काम आता।

  • इसी बीच बहादुरशाह ने अजमेर, पूर्वी राजस्थान को रौंद डाला। चित्तौड़ पर आक्रमण किया तथा इब्राहिम लोदी के चचेरे भाई तातारा खां को सैनिक तथा हथियारों से सहायता दी।

  • लेकिन हुमायूं ने जल्द ही तातार खां की चुनौती समाप्त कर दी तथा बहादुरशाह के अंत के लिए मालवा पर आक्रमण कर दिया।

  • मांडू किले को पार करने वाला हुमायूं 41वां व्यक्ति था।

  • मालवा और गुजरात का समृद्ध क्षेत्र हुमायूं के अधीन आ गया।

  • मांडू तथा चम्पानेर के किले पर भी हुमायूं का अधिकार हो गया।

  • आगरा से हुमायूं की अनुपस्थिति के दौरान शेर खां ने 1535-37 तक अपनी स्थिति मजबूत बना ली तथा वह बिहार का निर्विरोध स्वामी बन गया।

  • शेर खां ने बंगाल के सुल्तान को पराजित किया।

  • 1539 में चौसा की लड़ाई में हुमायूं शेर खां से पराजित हुआ।

  • मई 1540 में कन्नौज की लड़ाई में अस्करी तथा हिन्दाल कुशलतापूर्वक लड़े लेकिन मुगल पराजित हुए।

  • हुमायूं अब राज्यविहीन राजकुमार था क्योंकि काबुल और कंधार कामरान के अधीन था।

  • अगले ढ़ाई वर्ष तक हुमायूं सिंध तथा पड़ोसी राज्यों में घूमता रहा लेकिन न तो सिंध के शासक और न ही मारवाड़ के शासक मालदेव ही उसकी सहायता के लिए तैयार था।

  • अंततः हुमायूं ने ईरानी शासक के दरबार में शरण ली तथा 1545 में उसी की सहायता से काबुल तथा कंधार को प्राप्त किया।

  • हुमायूं 1555 में सूर साम्राज्य के पतन के बाद दिल्ली पर पुनः अधिकार करने में सफल हुआ।

  • दिल्ली में अपने पुस्तकालय (दीनपनाह भवन) की इमारत की पहली मंजिल से गिर जाने के कारण उसकी मृत्यु हो गई।

  • हुमायूं सप्ताह के सात दिन, अलग-अलग रंग के कपड़े पहनता था। हुमायूं का मकबरा दिल्ली में हाजी बेगम द्वारा बनवाया इसे ताजमहल का पूर्वगामी भी कहा जाता है।

 

शेर खां (1540-45) :

  • शेर खां का वास्तविक नाम फरीद था। उसके पिता जौनपुर में जमींदार थे।

  • 1544 में अजमेर तथा जोधपुर के बीच सूमेल नामक स्थान पर राजपूत और अफगान सरदारों के बीच संघर्ष हुआ जिसमें राजपूत सेना पराजित हुई।

  • शेरशाह/शेर खां का अंतिम अभियान कालिंजर (बुंदेलखण्ड) के किले के विरुद्ध हुआ।

  • शेरशाह का उत्तराधिकारी उसका दूसरा पुत्र इस्लामशाह हुआ।

  • लेकिन हुमायूं ने 1555 में जबरदस्त लड़ाइयों में अफगानों को पराजित कर दिल्ली और आगरा पुनः जीत लिया।

  • शेरशाह के शासनकाल में आय का सबसे बड़ा स्रोत भू-राजस्व था।

  • रोहतासगढ़ दुर्ग का निर्माण शेरशाह ने करवाया। सड़क-ए-आजम (ग्रांड ट्रंक रोड़) बंगाल में सोनार गाँव से दिल्ली लाहौर होती हुई पंजाब में अटक तक जाती थी।

  • भू-राजस्व का निर्धारण भूमि की पैमाइश पर आधारित था।

  • राज्य कर का भुगतान नकदी में चाहता था लेकिन यह काश्तकारों पर निर्भर था कि वे कर नकद में दें या अनाज के रूप में।

  • शेरशाह ने भूमि की पैमाइश हेतु 32 अंक वाले सिकंदरी गज तथा सन की डंडी का प्रयोग किया।

  • मुद्रा सुधार के क्षेत्र में शेरशाह ने 178 ग्रेन का चांदी का रुपया तथा 380 ग्रेन का ताम्बे का दाम चलाया।

  • इस्लामशाह ने इस्लामी कानून को लिखित रूप दिया।

  • इस्लामशाह ने सैनिकों को नकद वेतन देने की प्रथा चलाई।

  • सहसाराम (बिहार) स्थित शेरशाह का मकबरा, जो उसने अपने जीवनकाल में निर्मित करवाया था, स्थापत्य कला की पराकाष्ठा है।

  • शेरशाह ने दिल्ली के निकट यमुना के किनारे एक नया शहर बनाया। जिसमें अब केवल पुराना किला तथा उसके अंदर एक मस्जिद सुरक्षित है।

  • मलिक मुहम्मद जायसी की श्रेष्ठ रचना पद्मावत शेरशाह के शासनकाल में ही रची गयी।

  • हिन्दुओं से जजिया लिया जाता रहा तथा सभी सरदार लगभग अफगान थे।

  • घोड़ों को दागने की प्रथा पुनः चलाई गयी।

  • मारवाड़ के बारे में शेरशाह का कथन-मैंने मुट्ठीभर बाजरे के लिए दिल्ली के साम्राज्य को लगभग खो दिया था।

  • मच्छीवाड़ा (मई 1555) तथा सरहिन्द युद्ध (जून 1555) के बाद हुमायूं ने अपने प्रदेशों को पुनः प्राप्त किया।

 

अकबर (1556-1605) :

  • हुमायूं जब बीकानेर से लौट रहा था तो अमरकोट के राणा ने उसे सहारा दिया।

  • अमरकोट में ही 1542 में अकबर का जन्म हुआ।

  • 1556 में कलानौर में अकबर की ताजपोशी 13 वर्ष 4 महीने की अवस्था में हुई।

  • बैरम खां को खान-ए-खाना की उपाधि प्रदान की गयी तथा राज्य का वकील बनाया गया।

  • 5 नवम्बर, 1556 में हेमू के नेतृत्व में अफगान फौज तथा मुगलों के बीच पानीपत की दूसरी लड़ाई हुई जिसमें अफगान सेना पराजित हुई।

  • बैरम खां लगभग 4 वर्ष तक (1556-1560) साम्राज्य का सरगना रहा।

 

प्रान्तीय स्थापत्य कला

1.अटाला मस्जिद

इब्राहिम शाह शर्की (जौनपुर)

2.अदीना मस्जिद (पांडुआ)

सिकन्दरशाह (बंगाल)

3.मांडू का किला

हुशंगशाह (मालवा)

4.बाज बहादुर एवं रूपमती महल

नासिद्दीन शाह (मालवा)

5.हुशंगशाह का मकबरा

महमूद I (मालवा)

6.हिंडोला महल

हुशंगशाह (मालवा)

7.अहमदशाह का मकबरा

मुहम्मद शाह (गुजरात)

8.जामा मस्जिद

सिकन्दर (कश्मीर)

  • अकबर की धाय माय माहम अनगा थी।

  • बैरम खां की मृत्यु के बाद अकबर को पहली विजय मालवा (1561) थी।

  • मालवा का शासक बाज बहादुर संगीत प्रेमी था।

  • 1564 ई. में अकबर ने गढकटंगा (गोंडवाना) को विजित किया।

  • गढ कटगा की स्थापना अमन दास ने की थी।

  • यहाँ का राजा वीर नारायण अल्पायु था, अतः उसकी मां रानी दुर्गावती जो महोबा की चंदेल राजकुमारी थी, गढ़कटंगा की वास्तविक शासिका थी।

  • आमेर के राजपूत शासक भारमल अकबर की अधीनता स्वीकार करने वाले प्रथम राजपूत शासक थे।

  • अकबर द्वारा 1567-1568 में मेवाड़ अभियान किया गया।

  • मेवाड़ का तत्कालीन शासक राणा उदयसिंह ने मालवा के शासक बाज बहादुर को अपने यहाँ शरण देकर अकबर को क्रोधित कर दिया। साथ ही मेवाड़ काफी शक्तिशाली राजपूत राज्य भी था।

  • राणा उदयसिंह के छिपने के बाद राजपूत सेना का नेतृत्व जयमल तथा फतेह सिंह (फत्ता) ने संभाला।

  • इन दोनों वीरों के मरने के बाद स्त्रियों ने जौहर कर लिया।

  • अकबर ने आगरा के मुख्य द्वार पर जयमल तथा फत्ता की प्रतिमाएं लगाने का आदेश दिया।

  • आसफ खां को मेवाड़ का सूबेदार नियुक्त किया गया।

  • 1569 में अकबर ने रणथम्भौर के राय सुरजन हाड़ा को अधीनता स्वीकार करने के लिए विवश किया।

  • 1570 में बीकानेर के शासक राय कल्याण मल, जैसलमेर के शासक रावल हरराय ने अकबर की अधीनता स्वीकार की।

  • अकबर द्वारा 1572-73 में गुजरात अभियान किया गया।

  • गुजरात का तत्कालीन शासक मुजफरशाह III था।

  • गुजरात में ही अकबर सर्वप्रथम पुर्तगालियों से मिला और यही पर उसने पहली बार समुद्र को देखा। अकबर ने लड़के व लड़कियों की विवाह की आयु 16 व 14 वर्ष तय की।

  • 1574-76 में अकबर ने बिहार तथा बंगाल को मुगल साम्राज्य में शामिल किया।

  • उदयसिंह की मृत्यु के बाद राणा प्रताप मेवाड़ का शासक बना।

  • राणा प्रताप का राज्याभिषेक गोगुन्दा में हुआ।

  • 18 जून, 1576 को मुगल सेना तथा राणा प्रताप की सेना के बीच हल्दीघाटी का युद्ध हुआ जिसमें राणा पराजित हुआ।

  • बीदा झाला ने राणा प्रताप को बचा लिया।

  • राणा प्रताप की मृत्यु के बाद अमर सिंह मेवाड़ का शासक बना।

  • 1599 में मानसिंह के नेतृत्व में मुगल सेना ने अमर सिंह को पराजित कर दिया। लेकिन मेवाड़ को पूर्ण रूपेण जीता नहीं जा सका।

  • 1585-86 में अकबर द्वारा कश्मीर को जीतने तथा काबुल को मुगल साम्राज्य का अंग बनाने के लिए अभियान किया। युसूफजाई कबीले के विद्रोह को दबाने के क्रम में राजा बीरबल मारे गये। बाद में टोडरमल ने इस विद्रोह को दबाया।

  • कश्मीर के तत्कालीन शासक युसूफ खां पराजित हुए।

  • 1590 में अकबर ने सिंध विजय किया। इस अभियान का नेतृत्व अब्दुर्रहीम खान-ए-खाना द्वारा किया गया।

  • अकबर प्रथम मुगल शासक था जिसने दक्षिणी राज्यों को अधीन करने के लिए अभियान किया।

  • खानदेश अकबर की अधीनता स्वीकार करने वाला प्रथम दक्कनी राज्य था। यहाँ का शासक अली खां था।

  • 1601 में असीरगढ़ के किले को विजित किया गया जो कि अकबर का अंतिम सैनिक अभियान था।

  • 1602 में सलीम (जहाँगीर) के निर्देश पर ओरछा के बुंदेला सरदार वीरसिंह ने अबुल फजल की हत्या कर दी।

  • 1605 में अतिसार रोग से अकबर की मृत्यु हो गयी।

  • अकबर का मकबरा आगरा के समीप सिकन्दरा में है।

  • 1575 में अकबर ने अपनी नयी राजधानी फतेहपुर सीकरी (आगरा) में इबादतखाना यानी प्रार्थना भवन बनाया।

  • इबादतखाना में धार्मिक विषयों पर वाद - विवाद होता था।

  • 1578 में इबादतखाना को सभी धर्मों के लिए खोल दिया गया।

  • 1579 में अकबर ने मुल्लाओं से निपटने के लिए और अपनी स्थिति को और मजबूत बनाने के लिए महजर की घोषणा की।

  • महजर की घोषणा के बाद अकबर ने सुल्तान-ए-आदिल की उपाधि धारण की।

  • 1582 में इबादतखाना को बंद कर दिया गया।

  • बदायूंनी अकबर का घोर आलोचक था।

  • 1582 में अकबर ने विभिन्न धर्मों के सार संग्रह के रूप में दीन-ए-इलाही की घोषणा की जो एकेश्वरवाद पर आधारित था।

  • अबुल फजल तथा बदायूंनी के तथाकथित नये धर्म के लिए 'तौहीद-ए-इलाही' शब्द का प्रयोग किया है।

  • दीन-ए-इलाही की स्थापना के पीछे अकबर का उद्देश्य 'सुलह-ए-कुल' अथवा सार्वभौमिक सहिष्णुता की भावना का प्रसार करना था।

  • बीरबल ने तौहीद-ए-इलाही की दीक्षा ली थी।

  • 1562 में अकबर ने युद्ध बंदियों को बलात दास बनाने की प्रथा पर प्रतिबंध लगा दिया।

  • 1563 में अकबर ने हिन्दू तीर्थयात्रियों पर से तीर्थयात्रा कर को समाप्त कर दिया।

  • अबुल फजल के अनुसार 1564 में गैर-मुसलमानों से वसूल किये जाने वाले जजिया कर को अकबर ने समाप्त कर दिया। जबकि बदायूंनी के अनुसार 1599 में जजिया कर समाप्त किया गया।

  • 1571 में फतेहपुर सीकरी नगर का निर्माण करवाकर राजधानी आगरा से फतेहपुर स्थानान्तरित की गयी।

  • प्रसिद्ध सूफी संत शेख सलीम चिश्ती के साथ अकबर के घनिष्ठ संबंध थे।

  • 1580 में अकबर ने सम्पूर्ण साम्राज्य को 12 प्रान्तों में विभाजित कर दिया।

  • टोडरमल राजस्व मामलों का विशेषज्ञ था। उसने जब्ती प्रथा को जन्म दिया।

  • अकबर के नवरत्न में बीरबल, अबुल फजल, फैजी, टोडरमल, भगवानदास, तानसेन, मानसिंह, अब्दुर्रहीम खान-ए-खाना आदि शामिल थे।

  • महेशदास नामक ब्राह्मण को अकबर ने बीरबल की पदवी दी थी।

  • अबुल फजल का भाई फैजी अकबर का राजकवि था।

  • अकबर के समय में सिंहासन बतीसी, अथर्ववेद, बाइबल, महाभारत, गीता, रामायण, पंचतंत्र, कुरान आदि का अनुवाद किया गया।

 

जहांगीर (1605-1627) :

  • जहांगीर का जन्म फतेहपुर सीकरी में हुआ था।

  • अकबर जहांगीर (सलीम) को शेखोबाबा कहकर पुकारता था।

  • जहांगीर का राज्याभिषेक आगरा के किले में 1605 में हुआ।

  • देश के सामान्य कल्याण तथा उत्तम प्रशासन के लिए बारह आदेशों के प्रवर्तन के साथ उसके शासन का शुभारम्भ हुआ।

  • सिखों के पांचवें गुरु अर्जुनदेव के साथ बागी शहजादा खुसरो तनतास में ठहरा था और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया था। अतः जहांगीर ने पहले जुर्माना किया लेकिन जुर्माना अदा करने से इनकार करने पर गुरु अर्जुनदेव को फांसी दे दी गयी।

  • 1613-1614 में शहजादा खुर्रम के नेतृत्व में किया गया मेवाड़ अभियान सफल रहा तथा राणा ने मुगलों से संधि कर ली।

  • जहांगीर के शासनकाल की सबसे बड़ी असफलता फारस द्वारा कंधार पर अधिकार कर लेना था।

  • उसी के शासनकाल में न्याय की जंजीर नाम से एक सोने की जंजीर आगरा दुर्ग के शाहबुर्ज तथा यमुना के तट पर एक पत्थर के खम्भे के बीच लगवायी गयी।

  • 1611 में मिर्जा गयास बेग की पुत्री मेहरूनिसा के साथ जहांगीर का विवाह हुआ।

  • मेहरूनिसा के पति शेर अफगान की हत्या के बाद जहांगीर ने उससे विवाह किया।

  • सम्राट ने उसे नूरमहल की उपाधि दी जिसे बाद में बदलकर नूरजहां कर दिया गया। 1613 में बादशाह बेगम की उपाधि भी दी गई।

  • नूरजहां के प्रभाव से उसके पिता मिर्जा गयास बेग को एतमाद-उद-दौला की उपाधि मिली।

  • नूरजहां गुट में एतमाद-उद-दौला अस्मत बेगम (नूरजहां की मां) आसफ खां तथा शहजादा खुर्रम शामिल था।

  • जहांगीर के शासनकाल के प्रथम काल में खुर्रम की अप्रत्याशित उन्नति तथा परवेज का पतन हुआ।

  • जबकि दूसरे शासनकाल में नूरजहां का संबंध खुर्रम से अच्छा नहीं रहा क्योंकि नूरजहां खुर्रम (शाहजहां) के बादशाह बनने पर अपनी मर्जी अनुसार शासन नहीं चला पाती।

  • 1623 में खुर्रम ने जहांगीर के कंधार जीतने के आदेश को मानने से इंकार कर दिया।

  • 1626 में महावत खां ने विद्रोह कर दिया।

  • 1617 में दक्कन अभियान की सफलता के बाद खुश होकर जहांगीर ने खुर्रम को शाहजहां की उपाधि प्रदान की।

  • जहांगीर का मकबरा रावी नदी के किनारे शाहदरा (लाहौर) में है।

  • जहांगीर के शासनकाल में विलियम हॉकिन्स, विलियम फिंच, सर टॉमस रो, एडवर्ड टैरी आदि यूरोपीय यात्री आये।

  • नूरजहां की मां अस्मत बेगम को इत्र के आविष्कार की जननी कहा जाता था।

शाहजहां (1628-1658) :

  • 1627 में जहांगीर की मृत्यु के समय शाहजहां दक्कन में था।

 

मुगलकालीन स्थापत्य

निर्माणकर्ता

निर्माण

1.बाबर

(a) पानीपत मस्जिद

(b) आगरा मस्जिद

2.हुमायूं

(a) आगरा मस्जिद

(b) दीनपनाह (दिल्ली)

3.शेरशाह

(a) पुराना किला (दिल्ली)

(b) किला-ए-कुहना (दिल्ली)

(c) शेरशाह का मकबरा (सहसाराम)

4.हाजी बेगम

(a) हुमायूं का मकबरा (दिल्ली)

5.अकबर

       

(a) लाल किला (आगरा)

(b) फतेहपुर सीकरी

(c) बुंद दरवाजा (फतेहपुर सीकरी)

(d) सलीम चिश्ती का मकबरा

(फतेहपुर सीकरी)

(e) इलाहाबाद किला

6.जहांगीर

(a) अकबर का मकबरा (सिकन्दरा)

7.नूरजहां

               

(a) एत्मात्उद्दौला का मकबरा (आगरा)

(b) जहांगीर का मकबरा (शाहदरा)

8.शाहजहां

(a) मोती मस्जिद (आगरा किला में)

(b) जामा मस्जिद (आगरा)

(c) ताजमहल (आगरा)

(d) शाहजहांनाबाद (दिल्ली)

(e) लाल किला (दिल्ली)

(f) जामा मस्जिद (दिल्ली)

9.औरंगजेब

(a) रबिया का मकबरा (औरंगाबाद)

(b) बादशाही मस्जिद (लाहौर)

(c) मोती मस्जिद (दिल्ली के लाल किला में)

  • धरमत (उज्जैन) के मैदान में 25 अप्रैल, 1658 को मुराद और औरंगजेब की संयुक्त सेना का मुकाबला दारा शिकोह की सेना, जिसका नेतृत्व जसवंत सिंह तथा कासिम खां कर रहे थे, के मध्य हुआ। युद्ध का परिणाम औरंगजेब के पक्ष में रहा।

  • उत्तराधिकार का एक अन्य युद्ध सामूगढ़ के मैदान में 29 मई, 1658 को हुआ जिसमें दारा एक बार पुनः पराजित हुआ।

  • औरंगजेब ने शाहजहां को 1658 में आगरा के किले में कैद रखा।

  • शाहजहां के शासनकाल में यूरोपीय यात्री फ्रांसीस बर्नियर ने भारत की यात्रा की।

  • शाहजहां के सिंहासन 'तख्ते ताऊस' में विश्व का सर्वाधिक महंगा हीरा कोहिनूर लगा था।

  • शाहजहां ने तीर्थयात्रा कर पुनः लगाया गया।

  • इसी समय इलाही संवत के स्थान पर हिजरी संवत प्रारम्भ हुआ।

  • दारा शिकोह कादिरी सम्प्रदाय से सम्बद्ध था।

  • दारा ने सफीनत औलिया, सकीनत औलिया, मजम-उल-बहरीन आदि पुस्तकें लिखीं।

  • दारा ने अथर्ववेद एवं उपनिषदों का फारसी में अनुवाद कराया।

  • सिर्र-ए-अकबर उपनिषदों का फारसी अनुवाद है।

 

औरंगजेब (1658-1707) :

  • औरंगजेब का राज्याभिषेक 1658 तथा 1659 में दो बार हुआ था।

  • आगरा पर अधिकार के पश्चात् 1658 में उसने आलमगीर की उपाधि धारण की।

  • उसने सिक्कों पर कलमा अभिलिखित कराने की प्रथा समाप्त कर दी तथा पारसी नववर्ष नौरोज का आयोजन भी बंद कर दिया गया।

  • तुलादान उत्सव तथा झरोखा दर्शन भी बंद हो गया।

  • 1668 में हिन्दू त्योहारों के मनाने पर रोक लगा दी।

  • 1679 में हिन्दुओं पर जजिया लगाया गया।

  • 1669-70 में गोकुल के नेतृत्व में मथुरा क्षेत्र में जाट किसानों, 1672 में पंजाब के सतनामी किसानों तथा बुंदेलखंड में चम्पतराय और छत्रसाल बुंदेला के नेतृत्व में विद्रोह हुआ।

  • औरंगजेब मारवाड़ के राजा जसवंत सिंह की मृत्यु के बाद उसके पुत्र अजीतसिंह की वैद्यता को अस्वीकार कर दिया।

  • दुर्गादास के नेतृत्व में मारवाड़ ने औरंगजेब के खिलाफ संघर्ष किया।

  • 1686 में बीजापुर को मुगल साम्राज्य में शामिल किया गया। तत्कालीन शासक सिकन्दर आदिलशाह था।

  • 1687 में गोलकुंडा का पतन हुआ, यहाँ का शासक अबुल हसन कुतुबशाह था।

  • मदना तथा अकन्ना नामक ब्राह्मणों के हाथों में गोलकुंडा के शासन की बागडोर थी।

  • 1686 में जाटों ने पुनः राजाराम तथा उसके भतीजे चूड़ामन के नेतृत्व में विद्रोह किया। उन्होंने 1688 में सिकन्दरा स्थित अकबर के कब्र की लूटपाट की।

  • 1675 में औरंगजेब ने गुरुतेगबहादुर को प्राणदंड दे दिया।

  • तेगबहादुर बाकसाद-ए-बाबा के नाम से भी जाने जाते थे।

  • 1681 में शहजादा अकबर ने विद्रोह कर नाड़ौल में अपने को भारत का सम्राट घोषित कर दिया।

  • राठौड़ दुर्गादास तथा मराठा शासक शम्भाजी ने शाहजादा अकबर को शरण दिया था। अंततः शहजादा अकबर फारस चला गया।

  • औरंगजेब 'जिन्दापीर' के नाम से जाना जाता था।

  • उसने सती प्रथा को प्रतिबंधित किया तथा मनूची के अनुसार उसने वेश्याओं को शादी कर घर बसाने का आदेश दिया।

  • 1669 में बनारस स्थित विश्वनाथ मंदिर तथा मथुरा का केशवराय मंदिर तोड़ा गया।

  • औरंगजेब का मकबरा दौलताबाद में स्थित है।

 

मुगल प्रशासन :

  • मुगल बादशाह राजत्व के दैवी सिद्धान्त में विश्वास करते थे।

  • दक्कन विजय के बाद अकबर के प्रान्तों की संख्या 15 थी। नये प्रान्त थे - खानदेश, अहमदनगर तथा बरार।

  • शाहजहां के शासनकाल में तीन नये सूबे/प्रान्त बनाये गये - कश्मीर, थट्टा तथा उड़ीसा।

  • औरंगजेब के शासनकाल में सूबों की संख्या 21 हो गयी। नये सूबे थे - असम, बीजापुर तथा गोलकुंडा।

  • मुगलकालीन अमीर वर्ग़ों का गठन मनसबदारी व्यवस्था के अंतर्गत होता था।

  • जागीरदारी प्रथा का आरम्भ अकबर के समय हुआ जिसके माध्यम से भू-राजस्व के वितरण से वेतन भुगतान किया जाता था।

  • भूमिकर राज्य की आय के प्रमुख स्रोत थे।

  • बर्नियर के अनुसार मुगलकाल में सम्पूर्ण भूमि पर बादशाह का अधिकार होता था।

  • अकबर मुगल भू-राजस्व व्यवस्था का संस्थापक था।

  • प्रारम्भ में अकबर ने शेरशाह की भू-राजस्व व्यवस्था को अपनाया, जिसमें खेतों की पैमाइश तथा उत्पादकता के आधार पर भू-राजस्व का निर्धारण किया जाता था।

  • 1580 में अकबर द्वारा आइन-ए-दहसाला पद्धति अपनायी गयी।

  • आइन-ए-दहसाला में वास्तविक उत्पादन, स्थानीय कीमतें तथा उत्पादकता को आधार बनाया गया था। अलग-अलग फसलों के पिछले 10 वर्ष के उत्पादन और इसी अवधि में उनकी कीमतों का औसत निकालकर औसत के आधार पर उपज का 1/3 भूराजस्व होता था। यह प्रणाली लाहौर से कड़ा (इलाहाबाद) तथा मालवा एवं गुजरात में लागू थी।

  • शाहजहां के शासनकाल में भू-राजस्व वसूली की इजारेदारी (ठेकेदारी) प्रथा की शुरुआत हुई।

  • अकबर ने जलाली सिक्का चलाया।

  • इलाही स्वर्ण निर्मित सिक्का था।

  • शाहजहां ने रुपये तथा दाम के मध्य 'आना' सिक्का प्रचलित किया।

  • दैनिक लेन देन में ताम्बे का दाम प्रयुक्त होता था।

  • जहांगीर ने निसार नामक सिक्का चलाया।

  • मनसबदारी व्यवस्था का उद्भव सम्भवतः चंगेज खां से हुआ जिसने अपनी सेना का दशमलव पद्धति के आधार पर गठित किया।

  • मुगल काल में अकबर द्वारा मनसबदारी प्रथा का आरम्भ किया गया।

  • जहांगीर ने दु अस्पा, सि-अस्पा अवस्था शुरू की।

  • शाहजहां के शासनकाल में भी मनसबदारी व्यवस्था में कुछ परिवर्तन किये गये जिसके तहत जात की संख्या में बिना वृद्धि किये सवारों की संख्या में वृद्धि की गयी थी।

  • औरंगजेब के शासनकाल में सर्वाधिक हिन्दू मनसबदार थे।

  • ढाका मलमल के लिए तथा कश्मीर एवं लाहौर शाल तथा गलीचा उद्योग के लिए प्रसिद्ध था।

 

मुगलकालीन कला एवं संस्कृति :

  • अपनी बहुमुखी सांस्कृतिक गतिविधियों के कारण मुगल काल को द्वितीय स्वर्ण युग की संज्ञा दी गयी है। गुप्तयुग को प्रथम स्वर्ण युग कहा गया था।

  • भवन साज-सज्जा के संदर्भ में संगमरमर के पत्थर पर जवाहरात से की गयी जड़ावट (पित्राडुरा) को विशेष महत्व दिया गया।

  • प्रतिकूल राजनीतिक परिस्थितियों के कारण हुमायूं को कोई महत्वपूर्ण निर्माण कार्य आरम्भ करने का अवसर नहीं मिला। फिर भी दिल्ली में दीनपनाह नगर का निर्माण करवाया गया।

  • शेरशाह के शासनकाल में दीनपनाह को तोड़वाकर पुराना किला का निर्माण किया गया। इसी किले के भीतर किला-ए-कुहना मस्जिद स्थित है।

  • सहसाराम स्थित शेरशाह का मकबरा हिन्दू-मुस्लिम वास्तुकला का विशिष्ट उदाहरण है।

  • हुमायूं के मकबरे का निर्माण अकबर के शासनकाल में हाजीबेगम के निरीक्षण में हुआ। दोहरी गुम्बद वाला यह भारत में पहला मकबरा है।

  • आगरा के किले (अकबर) का निर्माण 1565 में आरम्भ हुआ तथा 1573 में तैयार हुआ।

  • लाहौर तथा इलाहाबाद में अकबर द्वारा किले का निर्माण किया गया।

  • 1572 में अकबर ने अपनी नयी राजधानी का नाम गुजरात विजय की स्मृति में फतेहपुर सीकरी रखा। इस नगर में जोधाबाई का महल, मरियम का महल, बीरबल का महल, पंचमहल, खास महल, जामा मस्जिद, बुलंद दरवाजा, शेख सलीम चिश्मी का मकबरा, दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास आदि स्थित है।

  • आगरा से 6 किमी. पश्चिम में सिकन्दरा में अकबर का मकबरा है जिसे जहांगीर ने 1613 में पूरा किया।

  • जहांगीर ने कश्मीर में शालीमार बाग की स्थापना की।

  • उसके शासनकाल में लाल बलुआ पत्थर के स्थान पर संगमरमर का प्रयोग होने लगा।

  • लाहौर के निकट शाहदरा में जहांगीर का मकबरा है।

  • एत्माद्उद्दौला का मकबरा आगरा में नूरजहां के द्वारा बनवाया गया। यह पूर्णतः संगमरमर से निर्मित प्रथम मकबरा है।

  • शाहजहां ने आगरा के लाल किले में दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास, शीश महल, अंगूरी बाग तथा मोती मस्जिद का निर्माण करवाया।

  • 1639 में शाहजहां ने अपनी नवीन राजधानी शाहजहांनाबाद की दिल्ली में नींव रखी जो 1648 में बनकर पूरा हुआ।

  • इस नगर के भीतर लाल किले का निर्माण किया गया। मुगलों द्वारा निर्मित यह अंतिम किला था। इसमें लाल बलुआ पत्थर तथा संगमरमर दोनों का प्रयोग हुआ हें इस किले के भीतर दीवान-ए-आम, मुमताज महल, रंग महल आदि है। दीवान-ए-खास  में एक लाख तोले स्वर्ण तथा रत्नों से निर्मित तख्त-ए-ताउस मयूर सिंहासन प्रतिस्थापित किया गया था।

  • दिल्ली के जामा मस्जिद का निर्माण भी शाहजहां ने करवाया था।

  • आगरा स्थित शाहजहां की पत्नी अर्जुमंदबानो बेगम का मकबरा ताजमहल सर्वोत्कृष्ट है।

  • औरंगजेब के शासनकाल में दिल्ली के लालकिला में मोती मस्जिद और लाहौर में बादशाही मस्जिद का निर्माण किया गया।

  • औरंगाबाद स्थित औरंगजेब की पत्नी रबिया दुर्रानी का मकबरा दक्षिण का ताजमहल कहलाता है।

  • बाबर ने अपनी पुस्तक में बेहजाद तथा शाह मुजफफ्र नामक चित्रकारों की चर्चा की है।

  • वस्तुतः मुगल चित्रकला शैली की नींव हुमायूं ने रखी। उसने अफगानिस्तान तथा फारस में अपने प्रवास के दौरान मीर सैयद अली तथा अब्दुल समद नामक दो इरानी चित्रकारां की सेवाएं ली।

  • मुगलकालीन चित्र संग्रह 'दास्तान-ए-अमीर हम्जा' या हम्जानामा में 1200 चित्र हैं।

  • अकबरकालीन चित्रकारों में दसवंत, बसावन, लाल, मुकुन्द आदि प्रमुख हैं।

  • जहांगीर ने हेरात के आकारीजा की देखरेख में आगरा में चित्रणशाला की स्थापना की।

  • उसके दरबार में फारुख बेग, दौलत, मनोहर दास, बिशनदास, मंसूर, अबुल हसन आदि प्रसिद्ध चित्रकार थे।

  • जहांगीर ने उस्तार मंसूर को नादिर-उल-अत्र तथा अबुल हसन को नादिर-उल-जमा की उपाधियों से सम्मानित किया।

  • मनोहर तथा बिशनदास छवि चित्र बनाने में श्रेष्ठ थे।

  • मंसूर दुर्लभ पक्षियों के चित्र बनाने में निपुण था।

  • अकबर के शासनकाल में तानसेन तथा बाज बहादुर को संरक्षण दिया गया।

  • शाहजहां ने लाल खां को 'गुण समंदर' की उपाधि प्रदान की।

  • औरंगजेब ने संगीत पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया।

 

सांस्कृतिक आन्दोलन

भक्ति एवं सूफी

  • 10वीं शताब्दी के बाद परम्परागत रूढ़िवादी प्रवृत्तियों पर अंकुश लगाने के लिए इस्लाम तथा हिन्दू धर्म में दो महत्वपूर्ण रहस्यवादी आन्दोलनों- सूफी एवं भक्ति आन्दोलन का उदय हुआ। इन आन्दोलनों ने व्यापक आध्यात्मिकता एवं अद्वैतवाद पर बल दिया, साथ ही निरर्थक कर्मकांड, आडम्बर तथा कट्टरपंथ के स्थान पर प्रेम, उदारता एवं गहन भक्ति को अपना आदर्श बनाया।

  • भारत में सूफी आन्दोलन का प्रारम्भ दिल्ली सल्तनत की स्थापना से पूर्व ही हो चुका था।

  • अबुल फजल ने आइन-ए-अकबरी में 14 सिलसिले का उल्लेख किया है।

 

चिश्ती सिलसिला :

  • चिश्ती सिलसिले की स्थापना भारत में ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती ने की थी, जो 1192 में मुहम्मद गोरी के साथ भारत आये थे।

  • मुइनुद्दीन चिश्ती कुछ समय तक लाहोर और दिल्ली में रहने के बाद अजमेर में जा बसे।

  • शेख मुइनुद्दीन के शिष्य थे बख्तियार काकी तथा उनके शिष्य हुए फरीद-उद्दीन-गज-ए-शंकर।

  • निजामुद्दीन औलिया बाबा फरीद के शिष्य थे। औलिया ने दिल्ली सल्तनत के सात सुल्तानों का काल देखा।

  • बाबा फरीद की रचनाएं गुरुग्रन्थ साहिब में शामिल है।

  • निजामुद्दीन औलिया ने योग प्राणायाम पद्धति अपनायी तथा योगी सिद्ध कहलाये।

  • औलिया को सुल्तान-उल-औलिया भी कहा गया है।

  • 1325 में जब गयासुद्दीन तुगलक बंगाल अभियान से लौट रहा था तो उसने शेख औलिया को दिल्ली खाली करने को कहा। इसी समय शेख औलिया ने 'दिल्ली अभी दूर है' वचन कहा।

  • शेख सलीम चिश्ती निजामुद्दीन औलिया का शिष्य था।

  • शेख सलीम फतेहपुर सीकरी में रहते थे।

  • दक्षिण भारत में चिश्ती सम्प्रदाय की शुरुआत 1340 में शेख बुरहानुद्दीन गरीब ने की। इन्होंने दौलताबाद को अपना केन्द्र बनाया।

 

सुहरावर्दी सिलसिला :

  • इस सिलसिले की स्थापना शेख शिहाबुद्दीन उमर सुहरावर्दी ने की लेकिन 1262 में इसके सुदृढ़ संचालन का श्रेय शेख बहाउद्दीन जकारिया को है जिन्होंने मुल्तान तथा सिन्ध को अपना केन्द्र बनाया।

  • इस सिलसिले के अन्य प्रमुख सन्त थे-जलालुद्दीन तबरीजी सैयद जोश, बुरहान आदि।

  • यह सम्प्रदाय चिश्ती सम्प्रदाय से भिन्न है। इसने राज्य संरक्षण स्वीकार किया, भौतिक जीवन का पूर्ण परित्याग नहीं किया तथा जागीर एवं नकद राशि के रूप में राज्य से अनुदान प्राप्त किया।

कादिरी सिलसिला :

  • इसका संस्थापक बगदाद का शेख कादिर जिलानी था।

  • भारत में इस सिलसिले के प्रसार का श्रेय नियामत उल्ला एवं मखदूम जिलानी को है।

  • इसके अनुयायी गाना गाने के विरोधी थे।

  • दारा शिकोह कादिरी सिलसिले के शेख मुल्लाशाह बदख्शी का शिष्य था।

 

नक्शबंदी सिलसिला :

  • इसकी स्थापना ख्वाजा बहाउद्दीन नक्शबंद ने की।

  • भारत में इस सिलसिले की स्थापना ख्वाजा बाकी विल्लाह ने की।

  • बाकी विल्लाह के शिष्यों में अकबर का समकालीन शेख अहमद सरहिन्दी था जो इस्लाम धर्म के सुधारक के रूप में जाना जाता है।

 

शत्तारी सिलसिला :

  • इसकी स्थापना भारत में शेख अब्दुल सत्तार ने की।

  • ग्वालियर के शाह मुहम्मद गौस इसके प्रमुख सूफी थे।

  • गौस हुमायूं के समकालीन थे।

 

अन्य सम्प्रदाय :

  • रोशनिया आन्दोलन के संस्थापक मियां बायजीद अंसारी थे।

  • कश्मीर के ऋषि आन्दोलन के संस्थापक शेख नुर-उद्दीन ऋषि थे।

  • महदवी आन्दोलन के प्रणेता जौनपुर के सैयद मुहमद थे।

 

भक्ति आन्दोलन :

  • सूफी आन्दोलनों की अपेक्षा भक्ति आन्दोलन अधिक प्राचीन है।

  • दक्षिण भारत में भक्ति की अवधारणा को शंकर के अद्वैतवाद तथा अलवार एवं नयनार संतों ने मजबूती प्रदान की।

  • मुख्य रूप से यह एकेश्वरवादी पंथ था जिसमें मुक्ति के लिए ईश्वर की कृपा पर बल दिया गया। यह समतावादी आन्दोलन था। इसमें कर्मकाण्डों की निंदा की गयी। जनसाधारण की भाषा में उपदेश दिया गया। इसमें सगुण एवं निर्गुण दोनों भक्त थे।

 

रामानुजाचार्य (12वीं शताब्दी) :

  • इन्होंने विशिष्ट अद्वैतवाद दर्शन को प्रचलित कर सगुण भक्ति पर बल दिया।

  • मूर्तिपूजा एवं अस्पृश्यता का विरोध करते हुए राम को विष्णु का अवतार माना।

  • इन्होंने श्रीसम्प्रदाय की स्थापना की।

  • निम्बकाचार्य ने द्वैत-अद्वैत दर्शन की व्याख्या की।

  • निम्बकाचार्य ने कृष्ण तथा राधा की उपासना पर बल देते हुए सनक सम्प्रदाय की स्थापना की।

 

माधावाचार्य :

  • इन्होंने द्वैतवाद दर्शन की व्याख्या की।

  • इनके अनुसार ज्ञान से भक्ति तथा भक्ति से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

 

मत एवं उनके प्रवर्तक

रामानुजाचार्य

विशिष्ट अद्वैतवाद

मध्वाचार्य

द्वैतवाद

विष्णुस्वामी

शुद्ध अद्वैतवाद

निम्बकाचार्य

द्वेत-अद्वैतवाद, सनक सम्प्रदाय

वल्लभाचार्य

शुद्ध अद्वैतवाद, पुष्टिमार्ग

श्रीकंठ

शैव विशिष्ट अद्वैतवाद

भास्कराचार्य

भेदाभेदभाव

शंकराचार्य

अद्वैतवाद

तुकाराम

वरकरी सम्प्रदाय

रामदास

धारकरी सम्प्रदाय

 

रामानन्द :

  • रामानन्द भक्ति आन्दोलन को दक्षिण भारत से उत्तर भारत में लाये।

  • उन्होंने हिन्दी भाषा में उपदेश दिया।

  • रामानंद भगवान राम को इष्टदेव मानते थे।

 

कबीर :

  • कबीर, सिकन्दर लोदी के समकालीन थे।

  • वे निर्गुण ब्रह्म के उपासक थे।

  • वे एकेश्वरवादी थे तथा संत रहते हुए गृहस्थ जीवन का निर्वाह किया।

  • इनकी रचनाएं हैं-सबद, साखी, रमैनी आदि। इनकी शिक्षाएँ बीजक में संग्रहीत है।

 

मुगलकालीन पुस्तकें

रचनाकार

कृति

1.बाबर

तुजुक-ए-बाबरी/बाबरनामा

2.गुलबदन बेगम (हुमायूं की सौतेली बहन)

हुमायूंनामा

3.हैदर दुगलत

तारीख-ए-रसीदी

4.मुल्ला दाऊद

तारीख-ए-अल्फी

5.अबुल फजल

अकबरनामा (आइन-ए-अकबरी अकबरनामा का एक भाग)

6.बदायूंनी

मुन्तखाब-उल-तवारीख

7.निजामुद्दीन अहमद

तबकात-ए-अकबरी

8.अब्बास खां सरवानी   

तारीख-ए-शेरशाही

9.जहांगीर, मुतमिद खां

तुजुक-ए-जहांगीरी

10.अब्दुल हमीद लाहौरी

पादशाहनामा

11.इनायम खां

शाहजहांनामा

12.काजिम शिराजी

आलमगीरनामा

13.सुरजन राय भंडारी

खुलासत-उत-तवारिख

14.दारा शिकोह

मज्मा-ए-बहरीन

15.मुसतइद खां 

मासिर-ए-आलमगिरि

 

गुरुनानक (1469-1538) :

  • सिक्ख धर्म के संस्थापक। जन्म तलवंडी (पाकिस्तान) में, हिन्दू-मुस्लिम एकता, ईश्वर भक्ति तथा सच्चरित्रता पर बल।

  • सूफी संत बाबा फरीद से प्रभावित थे।

  • इनके उपदेश गुरुग्रंथ साहब में संग्रहित है।

 

चैतन्य (1486-1533) :

  • जन्म बंगाल के नदिया में, सगुणमार्गी भक्ति का अनुसरण करते हुए कृष्ण को अपना इष्टदेव माना।

  • चैतन्य महाप्रभु ने गोसाई संघ की स्थापना की तथा संकीर्तन प्रथा को जन्म दिया। इनके दार्शनिक सिद्धान्त को ’अचिंत्य भेदाभेदवाद’ के नाम से जाना जाता है।

 

रैदास :

  • निर्गुण ब्रह्म के उपासक, रामानन्द के 12 शिष्यों में से एक।

  • रैदासी सम्प्रदाय की स्थापना की।

 

मीराबाई (1499-1546) :

  • मेड़ता के रत्नसिंह राठौड़ की पुत्री तथा राणा सांगा के पुत्र भोजराज की पत्नी थीं। मीराबाई की भक्ति माधुर्य भाव की थी।

  • कृष्ण भक्ति पति के रूप में।

  • सूफी संत रबिया से तुलना की जाती है।

 

दादू दयाल (1544-1603) :

  • निर्गुण भक्ति पर बल दिया तथा ईश्वर की व्यापकता एवं हिन्दू-मुस्लिम एकता तथा सद्गुरु की महिमा का प्रसार।

  • राजस्थान का कबीर।

 

वल्लभाचार्य (1498-1531) :

  • इन्होंने पुष्टिमार्ग दर्शन का प्रतिपादन किया।

  • जगतगुरु की उपाधि धारण की।

  • गृहस्थ जीवन में रहते हुए मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है।

  • विजयनगर शासक कृष्णदेवराय का संरक्षण मिला।

 

ज्ञानेश्वर (1275-1296) :

  • महाराष्ट्र में भक्ति आन्दोलन के प्रवर्तक थे।

 

नामदेव (1270-1350) :

  • सगुण ब्रह्म के उपासक थे।

 

तुकाराम :

  • वरकरी सम्प्रदाय की स्थापना की।

  • वे शिवाजी के समकालीन थे।

  • महाराष्ट्र में पंढरपुर स्थित बिठोबा मंदिर (विष्णु) मुख्य केन्द्र था।

 

सूरदास (16-17वीं शताब्दी) :

  • वे भगवान कृष्ण तथा राधा के भक्त थे।

  • इन्होंने ब्रजभाषा में उपदेश दिया।

सूरसारावली, सूरसागर तथा साहित्यलहरी प्रसिद्ध ग्रन्थ है।

तुलसीदास :

  • वे राम को ईश्वर का अवतार मानते थे।

  • रामचरितमानस, गीतावली, विनयपत्रिका आदि महत्वपूर्ण ग्रन्थ है।

  • वे अकबर व जहाँगीर के समकालीन थे।

 

शंकरदेव (1449-1568) :

  • इन्होंने असम में एक शरण सम्प्रदाय की स्थापना की।

  • कृष्ण की पूजा मूर्ति के रूप में करते थे।

  • असम के चैतन्य के रूप में प्रसिद्ध है।

  • उनका धर्म महापुरुषीय धर्म के रूप में जाना जाता है।

 

नरसिंह मेहता (15वीं शताब्दी) :

  • गुजरात के प्रसिद्ध संत जिन्होंने राधा-कृष्ण के प्रेम का चित्रण गुजराती गीतों के माध्यम से किया है।

  • सूरतसंग्राम में इनके गीत संकलित हैं।

  • गांधीजी के प्रिय भजन 'वैष्णव जन तो तेनो कहिए,.....' के भी रचयिता हैं।


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