महाजनपद काल (Mahajanpad Kal)
- द्वितीय नगरीकरण का प्रारंभ गंगाघाटी में छठी शताब्दी ई.पू. में माना जाता है। आहत (पंचमार्क) सिक्के छठी शताब्दी ई.पू. में शुरू हुए। बौद्ध ग्रंथ अंगुत्तर निकाय व जैन ग्रंथ भगवतीसूत्र में 16 महाजनपदों का उल्लेख मिलता है।
शाक्य - यह गणराज्य नेपाल की तराई में स्थित था। इसकी राजधानी कपिलवस्तु थी। गौतम बुद्ध का जन्म इसी गणराज्य में हुआ था।
- वैशाली के लिच्छवि बुद्ध काल का सबसे बड़ा और शक्तिशाली गणराज्य था। यह वज्जि संघ की राजधानी थी।
मिथिला के विदेह - यहाँ के राजा जनक अपनी शक्ति एवं दार्शनिक ज्ञान के लिए विख्यात थे।
मल्ल - इस गणराज्य में पावा (महावीर स्वामी ने यहां पर प्राण त्यागे) तथा कुशीनगर (महात्मा बुद्ध ने यहां प्राण त्यागे) में स्थित थे।
वज्जि (लिच्छिव गणराज्य ) - संघात्मक गणराज्य, 8 गणों का संघ था। मगध - इस गणराज्य की राजधानी गिरिव्रज (प्राचीनतम राजधानी) थी।
राजगृह - वज्जियों के आक्रमण के भय से बिम्बिसार ने गिरीव्रज के स्थान पर इसे अपनी राजधानी बनाई।
पाटलिग्राम- अजातशत्रु ने इसकी नींव डाली। पाटलिपुत्र को उदायिनी ने अपनी राजधानी बनाया जो उसके समय की सबसे महत्वपूर्ण घटना थी।
अवंति (राजतंत्र) - इसकी राजधानी उज्जयनी तथा महिष्मती थी।
- महात्मा बुद्ध के समय अवन्ति का शासक प्रद्योत था जो अपनी निर्दयता के कारण दूर-दूर तक प्रसिद्ध था। प्रद्योत के पाण्डुरोग से पीड़ित होने पर हर्यक वंश के शासक बिम्बिसार ने उपचार के लिए अपने वैद्य जीवक को भेजा। अजातशत्रु ने प्रद्योत की शक्ति व साम्राज्यवादी नीति से भयभीत होकर अपनी राजधानी राजगृह का दुर्गीकरण करवाया।
मगध साम्राज्य का उत्कर्ष
हर्यंक वंश (545-412 ई.पू.) -
बिम्बिसार (543-492 ई.पू.) - इस वंश का सबसे प्रतापी राजा था जो बुद्ध का समकालीन था। इसका उपनाम श्रेणिक था। इसने गिरिव्रज को अपनी राजधानी बनाया।
- बिम्बिसार ने वैवाहिक संबंधों के द्वारा अपने राज्य का विस्तार किया तथा इसे सुदृढ़ता प्रदान की।
- अवंति के राजा प्रद्योत की चिकित्सा के लिए अपने चिकित्सक जीवक को उज्जैन भेजा था।
अजातशत्रु (493-460 ई.पू.) - अपने पिता की हत्या कर मगध के सिंहासन पर बैठा। इसका नाम कुणिक भी था।
- अजातशत्रु ने वज्जिसंघ को पराजित करने के दौरान प्रथम बार रथमूसल व व शिलाकण्टक जैसे अत्रों का प्रयोग किया।
- साम्राज्यवादी नीति के तहत इसने काशी तथा वज्जिसंघ को मगध में मिलाया।
उदायिन (460-444 ई.पू.) - उदायिन ने गंगा एवं सोन नदी के संगम पर पाटलिपुत्र नामक नगर की स्थापना की।
शिशुनाग वंश
शिशुनाग (412-344 ई.पू.) ने अवंति तथा वत्स को जीतकर इसे मगध साम्राज्य का अंग बनाया।
- कालाशोक जिसका अन्य नाम काकवर्ण भी था, ने राजधानी पुनः पाटलिपुत्र स्थानांतरित कर दी।
नन्द वंश (344-322 ई.पू.)
- नन्द वंश का संस्थापक महापद्मनंद था। पुराण में इसे सर्वक्षत्रांतक कहा गया है।
- महाबोधिवंश इसे उग्रसेन कहता है। इसने एकराट की उपाधि धारण की।
- घनानंद, नन्द वंश का अंतिम राजा था। यह सिकन्दर का समकालीन था तथा इसके शासनकाल में 326 ई.पू. में सिकन्दर ने पश्चिमोत्तर भारत पर आक्रमण किया था। चन्द्रगुप्त मौर्य ने घनानंद की हत्या कर मौर्य वंश की स्थापना की थी।
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