Type Here to Get Search Results !

उत्तर वैदिक काल नोट्स | uttar vaidik kal notes

 

उत्तर वैदिक काल (Uttar Vaidik Kal)

जिस काल में यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद, आरण्यक तथा उपनिषद् की रचना हुई उसे उत्तरवैदिक काल (1000-600 ई.पू.) कहते हैं। अधिक जानकारी हेतु Study Dost देखें।

 Note:- उत्तर वैदिक काल (uttar vaidik kal) की PDF DOWNLOAD करने का Link नीचे दिया गया है।


नदियों के प्राचीन एवं नवीन नाम

प्राचीन नाम

आधुनिक नाम

वितस्ता

झेलम

आस्किनी

चिनाब

विपासा (विपाशा)

व्यास

परुष्णी

रावी

शतुद्रि

सतलज

कुभा

काबुल

क्रुमु (क्रुभु)

कुर्रम

गोमती

गोमल

दृषद्वती

घग्घर/रक्षी/चितंग

 

इस काल में आर्यों की भौगोलिक सीमा का विस्तार गंगा के पूर्व में हुआ। सप्तसैंधव प्रदेश से आगे बढ़ते हुए आर्यों ने सम्पूर्ण गंगा घाटी पर प्रभुत्व जमा लिया। परन्तु इनका विस्तार विन्धय के दक्षिण में नहीं हो पाया था।

राजनीतिक स्थिति :

  1. कई कबीलों ने मिलकर राष्ट्रों या जनपदों का निर्माण किया।
  2. इस काल में राष्ट्र शब्द प्रदेश का सूचक था।
  3. उत्तर वैदिक काल में शासन तंत्र का आधार राजतंत्र था।
  4. क्षेत्रीय राज्यों के उदय होने से अब 'राजन' शब्द का प्रयोग किसी क्षेत्र विशेष के प्रधान के लिए किया जाने लगा।
  5. राजा का मुख्य कार्य सैनिक और न्याय संबंधी होते थे।
  6. शतपथ ब्राह्मण में 12 प्रकार के रत्निनों का विवरण दिया गया है।
  7. प्रशासनिक संस्थायें सभा और समिति का अस्तित्व तो था परन्तु इनके पास पहले जैसे अधिकार नहीं रह गये थे। स्त्रियों का अब सभा, समिति में प्रवेश निषिद्ध हो गया था।
  8. इस काल के अंत तक बलि और शुल्क के रूप में नियमित कर देना लगभग अनिवार्य हो गया था।

 

सामाजिक स्थिति :

  1. संयुक्त एवं पितृसत्तात्मक परिवार की प्रथा इस काल में भी बनी रही।
  2. समाज वर्णव्यवस्था पर आधारित था तथा वर्ण अब जाति का रूप लेने लगा था।
  3. ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य तीनों वर्णों को द्विज कहा जाता था।
  4. उत्तरवैदिक काल में नारियों की स्थिति में ऋग्वेदकाल की अपेक्षा गिरावट आयी।
  5. स्त्रियां सभा और समिति जैसी राजनीतिक संस्थाओं में भाग नहीं ले सकती थी।
  6. वृहदारण्यक उपनिषद् जनक की सभा में गार्गी और याज्ञवल्क्य के बीच वाद-िववाद का उल्लेख करता है।
  7. चारों आश्रमों की व्यवस्था की जानकारी जाबालोपनिषद् से मिलती है।
  8. मनुस्मृति के अनुसार विवाह के आठ प्रकार थे।
  9. स्मृतिकारों ने 16 संस्कारों की संख्या बतायी है।

 

आर्थिक स्थिति :

  1. कृषि तथा विभिन्न शिल्पों के विकास के कारण जीवन स्थाई हो गया हालांकि पशुपालन अभी भी व्यापक पैमाने पर जारी था परन्तु अब खेती उनका मुख्य धंधा बन गया।
  2. अथर्ववेद के अनुसार पृथुवैन्य ने सर्वप्रथम हल और कृषि को जन्म दिया।
  3. लोहे का उपयोग पहले शस्त्र निर्माण तथा बाद में कृषि यंत्रों के निर्माण में किया गया।
  4. शतपथ ब्राह्मण में कृषि की चारों क्रियाओं - जुताई, बुवाई, कटाई एवं मड़ाई का उल्लेख हुआ है।
  5. गाय, बैल, घोड़ा, हाथी, भैंस, बकरी, गधा, ऊंट, सूअर आदि मुख्य पशु थे।
  6. कपास का उल्लेख नहीं हुआ है इसके जगह उर्णा (ऊन) शब्द का उल्लेख कई बार आया है।
  7. आर्य लोग तांबे के अतिरिक्त सोना, चांदी, सीसा, टिन, पीतल, रांगा आदि धातुओं से परिचित हो चुके थे।
  8. व्यावसायिक संगठन के लिए ऐतरेय ब्राह्मण में 'श्रेष्ठी' तथा वाजसनेयी संहिता में 'गण' एवं 'गणपति' शब्द का उल्लेख हुआ हैं।
  9. मुख्यतः वस्तु विनिमय प्रणाली प्रचलित था।

 
धार्मिक स्थिति :

  1. उत्तर वैदिक काल में यज्ञ अनुष्ठान एवं कर्मकांडीय गतिविधायों में वृद्धि हुई।
  2. लोगों को पंच महायज्ञ करने के भी धार्मिक आदेश थे-
  • ब्रह्म यज्ञ - अध्ययन एवं अध्यापन।
  • देव यज्ञ - होम कर देवताओं की स्तुति।
  • पितृ यज्ञ - पितरों को तर्पण करना।
  • मनुष्य यज्ञ - अतिथि सत्कार तथा मनुष्य के कल्याण की कामना
  • भूत यज्ञ - जीवधारियों का पालन।
  1. तीन ऋण थे - देव ऋण (देवताओं तथा भौतिक शक्तियों के प्रति दायित्व), ऋषि ऋण और पितृ ऋण (पूर्वजों के प्रति दायित्व)।
  2. उत्तर वैदिक काल में ब्रह्मा, विष्णु तथा शिव प्रमुख देवता हो गए।
  3. इन्द्र, अग्नि, वरुण तथा अन्य ऋग्वैदिक देवताओं का महत्व कम गया।
  4. उत्तरवैदिक काल के अंतिम दौर में यज्ञ, पशु बलि तथा कर्मकांड के प्रति तीव्र प्रतिक्रिया हुई।
  5. वृहदारण्यक उपनिषद में पहली बार पुनर्जन्म के सिद्धान्त को मान्यता प्रदान की गयी।


Download vaidik kal PDF notes - Click here


Tags:- uttar vaidik kal in Hindi, उत्तर वैदिक काल नोट्स, later vedic period, uttar vaidik kal mein kuru panchal ki rajdhani kahan thi, उत्तर वैदिक काल

Tags

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.