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संविधान क्या है | Samvidhan kya hai

 संविधान क्या है (Samvidhan Kya Hai)

संविधान क्या है? इसे हम एक उदाहरण से समझते हैं। मान लीजिए आप एक स्कूल के प्रधानाध्यापक हैं। और आप ने स्कूल को सुव्यवस्थित रूप संचालित करने के लिए कुछ नियम बना रखे हैं। इसी प्रकार किसी भी देश को सुव्यवस्थित रूप से चलाने के लिए नियम बनाए जाते है, जिसे हम संविधान कहते हैं। हमारे देश भारत का भी संविधान हैं। भारत के संविधान को डाॅ. भीमराव अम्बेडकर के द्वारा लिखा गया था। किसी भी देश का संविधान उस देश की राजनीतिक व्यवस्था, न्याय व्यवस्था तथा नागरिकों के हितों की रक्षा करने का एक मूल माध्यम होता है| जिसके माध्यम से उस देश के विकास की दिशा का निर्धारण होता है| संविधान, किसी भी देश का मौलिक कानून है, जो सरकार के विभिन्न अंगों की रूपरेखा और मुख्य कार्य का निर्धारण करता है।

संविधान के उपयोग

इसके साथ ही यह सरकार और देश के नागरिकों के बीच संबंध भी स्थापित करता है। भारत का संविधान सभा द्वारा 26 नवंबर 1949 को आंशिक रूप से लागू किया गया और 26 जनवरी 1950 को इसे पूर्ण रूप से पूरे देश में लागू कर दिया गया था| इस लिए हर साल 26 जनवरी के दिन हम "गणतंत्र दिवस" मनाते हैं। संविधान क्या होता है, संविधान की परिभाषा के बारें में आपको यहाँ विस्तार से जानकारी दे रहे है -


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भारत में संवैधानिक विकास (Bharat Mein Samvaidhanik Vikas)

भारतीय संविधान के विकास का संक्षिप्त इतिहास :-

पुर्तगाल यूरोप का पहला देश था, जिसने भारत के साथ व्यापारिक सम्बन्ध स्थापित किए। इसके पश्चात् डच, अंग्रेज और फ्रांसीसी व्यापारी भी भारत के साथ व्यापारिक सम्बन्ध स्थापित करने लगे। ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ ने 31 दिसम्बर, 1600 ई. को एक अधिकार-पत्र द्वारा अंग्रेज व्यापारियों को भारत के साथ व्यापार करने का एकाधिकार प्रदान किया। अंग्रेज व्यापारियों का वह दल ही ईस्ट इण्डिया कम्पनी के नाम से जाना जाने लगा जिसका नाम दी गवर्नर एण्ड कम्पनी ऑफ मर्चेन्टस ऑफ लंदन ट्रेडिंग इंटू दी ईस्ट इण्डिया था। ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने अपना पहला व्यापारिक केन्द्र सन् 1616 में मुगल बादशाह जहाँगीर की अनुमति से सूरत में स्थापित किया।

1757 ई. की प्लासी की लड़ाई (प्लासी का युद्ध गंगा नदी के किनारे हुआ) और 1764 ई. के बक्सर के युद्ध को अंग्रेजों द्वारा जीत लिए जाने के बाद बंगाल पर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी ने शासन का शिकंजा कसा। इसी शासन को अपने अनुकूल बनाए रखने के लिए अंग्रेजों ने समय-समय पर कई एक्ट पारित किए, जो भारतीय संविधान के विकास की सीढ़ियाँ बनीं।

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