भारतीय संविधान के भाग और अनुसूचियाँ
(Bhartiya Samvidhan ke Bhag or Anusuchiya)
भाग - 1. संघ व राज्य क्षेत्र
भाग - 2. नागरिकता
भाग - 3. मूल अधिकार
भाग - 4. राज्य नीति निर्देशक तत्व, 4(क) मूल कर्त्तव्य
भाग - 5. संघ
भाग - 6. राज्य
भाग - 7. निरसित
भाग - 8. संघ राज्य क्षेत्र
भाग - 9. पंचायत, 9(क) नगर पालिकाएं
भाग - 10. अनुसूचित जनजाति क्षेत्र
भाग - 11. संघ व राज्यों के मध्य सम्बन्ध
भाग - 12. वित्त व सम्पत्ति
भाग - 13. भारत का आन्तरिक व्यापार
भाग - 14. संघ व राज्यों के अधीन सेवाएं, 14(क) अभिकरण
भाग - 15. निर्वाचन
भाग - 16. विशेष वर्ग़ों के उपबन्ध
भाग - 17. राजभाषा
भाग - 18. आपात उपबन्ध
भाग - 19. प्रकीर्ण
भाग - 20. संशोधन
भाग - 21. अस्थायी संक्रमणकालीन विशेष उपबन्ध
भाग - 22. संक्षिप्त नाम, हिन्दी में प्राधिकृत पाठ।
भारतीय संविधान की अनुसूचियाँ
प्रथम अनुसूची - इसमें भारतीय संघ के घटक राज्यों (29 राज्य) एवं संघ शासित (सात) क्षेत्रों का उल्लेख है।
नोट - संविधान के 69वें संशोधन - 1991 के द्वारा दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का दर्जा दिया गया है।
दूसरी अनुसूची - इसमें भारतीय राज-व्यवस्था के विभिन्न पदाधिकारियों (राष्ट्रपति, राज्यपाल, लोकसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष, राज्यसभा के सभापति एवं उपसभापति, विधानसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष, विधान परिषद् के संभापति एवं उपसभापति, उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों और भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक आदि) को प्राप्त होने वाले वेतन, भत्ते और पेंशन आदि का उल्लेख किया गया है।
तीसरी अनुसूची - इसमें विभिन्न पदाधिकारियों द्वारा पद-ग्रहण के समय ली जाने वाली शपथ (Oath) का उल्लेख है।
चौथी अनुसूची - इसमें विभिन्न राज्यों तथा संघीय क्षेत्रों की राज्यसभा में प्रतिनिधित्व का विवरण दिया गया है।
पाँचवीं अनुसूची - इसमें विभिन्न अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के क्षेत्रों के प्रशासन और नियत्रंण के बारे में उल्लेख है।
छठी अनुसूची - इसमें असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों के जनजाति क्षेत्रों के प्रशासन के बारे में प्रावधान है।
सातवीं अनुसूची - इसमें केन्द्र एवं राज्यों के बीच शक्तियों के बँटवारे के बारे में विवरण दिया गया है। इसके अन्तर्गत तीन सूचियाँ (Inventories) हैं- संघ सूची, राज्य सूची एवं समवर्ती सूची।
(1) संघ सूची - इस सूची में दिए गए विषय पर केन्द्र सरकार कानून बनाती है। संविधान के लागू होने के समय इसमें 97 विषय थे। वर्तमान समय में इसमें 99 विषय हैं। जैसे-सीमा, आयकर, जनगणना (Census), विदेश, परमाणु ऊर्जा, रक्षा इत्यादि।
(2) राज्य सूची - इस सूची में दिए गए विषय पर राज्य सरकार कानून बनाती है। राष्ट्रीय हित से संबंधित विषय होने पर केन्द्र सरकार भी कानून बना सकती है। संविधान के लागू होने के समय इसके अन्तर्गत 66 विषय थे, वर्तमान समय में इसमें 62 विषय है। जैसे- क्रय-विक्रय, पुलिस, लोक व्यवस्था, स्टाम्प शुल्क, भू-राजस्व, कृषि इत्यादि।
(3) समवर्ती सूची - इसके अन्तर्गत दिए गए विषय पर केन्द्र एवं राज्य दोनों सरकार कानून बना सकती हैं। परन्तु कानून के विषय समान होने पर केन्द्र सरकार द्वारा बनाया गया कानून ही मान्य होता है। राज्य सरकार द्वारा बनाया गया कानून केन्द्र सरकार के कानून बनाने के साथ ही समाप्त हो जाता है। संविधान के लागू होने के समय समवर्ती सूची में 47 विषय थे।
वर्तमान समय में इसमें 52 विषय हैं। जैसे-शिक्षा, चिकित्सा, वन, जनसंख्या नियंत्रण, सहकारिता, पंचायती राज, समाचार-पत्र इत्यादि।
नोट - समवर्ती सूची का प्रावधान जम्मू-कश्मीर राज्य के संबंध में नहीं है।
आठवीं अनुसूची - इसमें भारत की 22 भाषाओं का उल्लेख किया गया है। मूल रूप से आठवीं अनुसूची में 14 भाषाएँ थीं, 1967 ई. में सिंधी को और 1992 ई. में कोंकणी, मणिपुरी तथा नेपाली को आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया। 92वें संविधान संशोधन 2004 ई. में मैथिली, संथाली, डोगरी एवं बोड़ो भाषाओं को आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया।
नौवीं अनुसूची - संविधान में यह अनुसूची प्रथम संविधान संशोधन अधिनियम, 1951 के द्वारा जोड़ी गई। इसके अन्तर्गत राज्य द्वारा सम्पत्ति के अधिग्रहण की विधियों का उल्लेख किया गया है। इस अनुसूची में सम्मिलित विषयों को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है। वर्तमान में इस अनुसूची में 285 अधिनियम हैं।
दसवीं अनुसूची - यह संविधान में 52वें संशोधन, 1985 के द्वारा जोड़ी गई है। इसमें दल-बदल से संबंधित प्रावधानों का उल्लेख है। 91वाँ संशोधन द्वारा इसमें संशोधन किया गया है।
ग्यारहवीं अनुसूची - यह अनुसूची संविधान में 73वें संवैधानिक संशोधन (1993) के द्वारा जोड़ी गयी है। इसमें पंचायतीराज संस्थाओं को कार्य करने के लिए 29 विषय प्रदान किए गए हैं।
बारहवीं अनुसूची - यह अनुसूची संविधान में 74वें संवैधानिक संशोधन (1994) के द्वारा जोड़ी गई है। इसमें शहरी क्षेत्र की स्थानीय स्वशासन संस्थाओं को कार्य करने के लिए 18 विषय प्रदान किए गए हैं।
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